कहानियाँ अनेक
किरदार सिर्फ एक
जो भागता हैं दर्द से
दौड़ता है सपनो के आगे
जो गिरता है
संभलता है
जलता है
पिघलता है
ये वही किरदार है
जो ना मरता है
ना बदलता हैं
सबका प्रिय
बने रहने की कोशिश
अच्छे-ख़ासे इंसान को
औसत आदमी
बनाकर छोड़ती है..!"
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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