Wednesday, January 4, 2023

साग़र की लहरें, रहती हैं बेताब,सुकून पाने को
छू कर किनारे लौट आती हैं साग़र में मिल #जाने को
लहरों के हवाले, कर देता है जो वजूद अपना
उसे भी ले आती हैं, संग साग़र से मिलाने को
जब तक है जीवन, डूबने नहीं देती लहरें सागर की
बेजान होने पर समा लेती हैं फ़िर अपना बनाने को

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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