प्रीत न टूटे,
कैसे कहूं मेरी प्यास तु ही।
सपना टूटे तो टुट जाये,
मेरे मन की मुराद तु ही ।।
इक पल देखूं,
जनम_जनम तक,
साजन तुझको ही देखूं।
बांहों में भरकर मैं देखूं,
सपने तेरे देख सकूं।।
छतरी बन जा,
मेरे सिर की,
कोई न मुझको तू पाये।
कोई पास न आये मेरे,
गर आये तू ही आये।।
बन्धन तुझसे बांध लिया है,
जग छोड़ूं या
रव छोड़ूं।
तू कह दे तो तुझको पाकर,
मैं अपना जीवन छोड़ू।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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