Tuesday, October 29, 2024

प्यार की धार को जीवन का प्राणाधार कर दो तुम,
नज़र के तीर को..मेरे जिगर के पार कर दो तुम।

कई जन्मों के..गूंगे भाव..जो मन में समाए हैं,
उन्हें वाणी का रस देकर मेरा उद्धार कर दो तुम।

अधर प्यासे हैं सदियों से जाएगा कब अधूरापन,
बहार बन कर छा जाओ मधुर बौछार कर दो तुम।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment