Monday, June 23, 2014

कागज पे आंसूओ के सिवा और कुछ नही 
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ


दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा 
उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ 


जैसे ही चराग हवा ने बुझा दिया
समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ


उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब 
मालूम ये हुआ कि वफा और कुछ नहीँ

खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ
होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ

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