कागज पे आंसूओ के सिवा और कुछ नही
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ
दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा
उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ
जैसे ही चराग हवा ने बुझा दिया
समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ
उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब
मालूम ये हुआ कि वफा और कुछ नहीँ
खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ
होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ
दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा
उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ
जैसे ही चराग हवा ने बुझा दिया
समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ
उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब
मालूम ये हुआ कि वफा और कुछ नहीँ
खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ
होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ
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