Monday, June 23, 2014

तुम बिन ज़िन्दगी में वीरानी सी छाई है 
शाम भी तेरी यादों का सैलाब लेकर आई है 

आज भी महरूम हूँ तेरे प्यार से 
तुमसे दिल लगाने की सजा क्या खूब मैंने पाई है 

ये मेरी खता है की तुझको अपना खुदा बना बैठा 
फितरत में तो तेरी आज भी बेवफाई है 

फिर भी दुआ है मेरी हर ख़ुशी मिले तुझको 
किस्मत में तो अपनी बस तन्हाई है

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