तुम बिन ज़िन्दगी में वीरानी सी छाई है शाम भी तेरी यादों का सैलाब लेकर आई है आज भी महरूम हूँ तेरे प्यार से तुमसे दिल लगाने की सजा क्या खूब मैंने पाई है ये मेरी खता है की तुझको अपना खुदा बना बैठा फितरत में तो तेरी आज भी बेवफाई है फिर भी दुआ है मेरी हर ख़ुशी मिले तुझको किस्मत में तो अपनी बस तन्हाई है
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