Saturday, September 13, 2014

ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी 
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी... 

उस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम ने 
जो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थी 

वाकिफ ही न था रम्ज़-ऐ-मोहब्बत से वो वरना 
दिल के लिए थोरी सी इनायत भी बहुत थी...

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