Friday, April 17, 2015
हम जो चलते रहे
,
तो ये रात साथ चलती रही
हर बढ़ते कदम पर
,
सुबह की आस ढलती रही
दुनिया ने तो देख लिए सूरज के चढ़ते नज़ारे
खुशिया मेरी लेकिन अपनी आँख मलती रही
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