Thursday, April 16, 2015

न बुझेगी वो शम्मा,जो तेरे इन्तेजार में जली है
है उतनी ही उम्र इसकी,जितनी मेरी जिंदगी है
हर सास में दबी है अपने,चिंगारियां हसरतो की
इस आग से ही तो फैली,अपनी राह में रौशनी है

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