Monday, April 27, 2015
रातभर छुपाते है वो मुझको
,
जुल्फ ओ दामन में
मैं भी खुद को भूल रहा
,
महकी हुवी चिलमन में
ऐ वक़्त ठहर जा या बढ़ा कदम आहिस्ता अपने
के पहली बार आयी है ये शब-ए-शाद मेरे जीवन में
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