Monday, April 27, 2015
मोहब्बत नहीं तो इंसानियत की खातिर आ जाओ
अपने इस दीवाने की राहत की खातिर आ जाओ
किस दर पे ना सजदे किये है मैंने तेरी आरजू में
दिल ने मांगी हुवी मन्नत की खातिर आ जाओ
1 comment:
दिगम्बर नासवा
April 27, 2015 at 12:49 PM
आमीन ... खूबसूरत है बुलावा .. जरूर आयेंगे वो ...
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