Wednesday, May 27, 2015

अजनबी दोस्ती……
दर्द में कुछ कमी-सी लगती है,
जिन्दगी अजनबी-सी लगती है,

एतबारे वफ़ा अरे तौबा
दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है,

मेरी दीवानगी कोई देखे
धुप भी चांदनी-सी लगती है ,

सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ
हर तरफ रौशनी-सी लगती है,

आज की जिन्दगी अरे तौबा
मीर की सायरी सी लगती है ,

शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है,
ये सहर आखरी-सी लगती है ,

जाने क्या बात हो गयी यारों
हर नजर अजनबी-सी लगती है,
दोस्ती अजनबी-सी लगती है…….…

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