दिल कि हर धड़कन में बसती है तुम्हारी पिपाशा
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"
जिनके सुर कोयल के सुर
थे चंचलता हिरनों कि ,
जिनके अठ्ठासो में भरी
हो झुर्मुता परियो कि
जिनके बोल पड़े जब
श्रवनो को वन्प्रिया कि बोल फीकी पड़े
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"
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