Sunday, July 19, 2015

तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।
आँखें बेरहम हो गयी मेरी, बस दिल तुझे याद करता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर.......................................... .....
तेरी जज्बातों को अपने पलकों पे रखना चाहता हूँ 
मगर दूर हूँ मैं।
तेरे संग बिताये लम्हों की कसम, तेरे संग रहना चाहता हें।
मगर मजबूर हूँ मैं।
मेरी पलकों पे तेरी याद बन के आंसू ना जाने कब टपकता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।



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