Thursday, July 16, 2015
जिनको नज़र दी हमने दुनिया को देखने की
,
वे ही न जाने नज़रें क्यों हमसे फेरते हैं !!
पोंछे थे हमने जिनकी आँखों के अश्क हरदम
वे देखकर हमें क्यों
,
अब आँखे तरेरते हैं !!
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