Monday, July 13, 2015

दिल किसी काम में नही लगता
याद जब से तुम्हारी आयी है।
घाव रिसने लगें हैं सीने के
पीर चेहरे पे उभर आयी है। साँस आती है, धडकनें गुम है
क्यों मेरी जान पे बन आयी है।
गीत-संगीत बेसुरा सा है
मन में बंशी की धुन समायी है।
मेरी सज-धज हैं, बेनतीजा सब
प्रीत पोशाक नयी लायी है।
होठ हैं बन्द, लब्ज गायब हैं
राज की बात है, छिपायी है।
चाहे कितनी बचाओ नजरों को,
इश्क की गन्ध छुप न पायी है।

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