Sunday, January 10, 2016
कभी तो दिया करों दोस्ती का अहसास
,
जो कहते फिरते मुझको अपना हमदम
,
संजीदगी से भरे लफ्ज़
,
काँधें पे रखे हाथ
,
वर्ना क्यों भरते हो बेफिजूल दोस्ती का दम
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