Saturday, April 2, 2016
हर शम्आ बुझी रफ्ता रफ्ता हर ख्वाब लुटा धीरे - धीरे
आइना न सही पत्थर भी न था दिल टूट गया धीरे - धीरे
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कैसर उल जाफरी
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