Thursday, April 21, 2016
तन्हाईयों का एक एक लम्हा
हंगामों से क़र्ज़ लूँ कहाँ तक
सुख से भी तो दोस्ती कभी हो
दुःख से ही गले मिलूँ कहाँ तक
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