Tuesday, April 19, 2016

छोड़ दे दोस्ती, करते हैं सभी नाटक यहाँ
ज़माने की उल्फत में भी आखिर रखा क्या है
दुआ है खुदा से, अब कभी ना देखूं तुझको
तेरी दीद के शौक में भी आखिर रखा क्या है

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