Tuesday, May 17, 2016
साकी कि हर निगाह पे बल खाके पी गया
लहरोँ से खेलता हुआ लहरा के पी गया
ऐ रहमत तमाम मेरी हर ख़ता मुआफ
मैँ इंतिहाए शौक मे घबरा के पी गया
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