Tuesday, May 17, 2016
नज़र में जख्म-ए-तबस्सुम छुपा छुपा के मिला
खफा तो था वो मगर मुझसे मुस्कुरा के मिला
वो हमसफ़र जो मेरे तंज़ पर हँसा था बहुत
सितम-ज़रीफ़ मुझे आईना दिखा के मिला
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