इश्क का सर-ए-निहां जां-तपन है जिस से
आज इकरार करें और तपिस मिट जाए
हर्फ़-ए-हक़ दिल में खटकता है जो कांटे की तरह
आज इज़हार करें और खलिश मिट जाए
-फैज़ अहमद फैज़
आज इकरार करें और तपिस मिट जाए
हर्फ़-ए-हक़ दिल में खटकता है जो कांटे की तरह
आज इज़हार करें और खलिश मिट जाए
-फैज़ अहमद फैज़
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