Saturday, June 4, 2016
फिर आज कोई गजल तेरे नाम न हो जाए
कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाए !
कर रहे हैं इंतज़ार तेरी मुहब्बत का
!!
इस इंतज़ार में जिंदगी तमाम न हो जाए !
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment