Saturday, December 31, 2016

ये ख्वाब है, खुश्बू है, के झोंका है के तुम हो....
ये धुंध है, बादल है, के साया है, के तुम हो...

एक दर्द का फैला हुआ सेहरा है के में हूँ..
एक मौज में आया हुआ दरिया है के तुम हो...

जिस तरफ भी देखूं नज़र आता है के तुम हो
ऐ जान-ए-जहां ये कोई तुम सा है के तुम हो...

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