Friday, March 10, 2017

खाली है जिनका दामन वो हिसाब क्या देंगे
सब सवाल ही गलत हैं फिर जवाब क्या देंगे
हर तरफ़ हर जगह हर इक शरीक-ए-जुर्म है
जो ख़ुद हैं बेपरदा तुम्हे नक़ाब क्या देंगे
ख़ुद झूमते गिरते हुए जाते हैं महफ़िल से
साक़ी ही हों नशे में तो शराब क्या देंगे
जो आँख ही मिला नहीं पाते ज़माने से
पढ़ने को तुम्हे दिल की किताब क्या देंगे
दिल में रहते हैं मगर आँख से परदा करें
ऐसे शख़्स किसी को हंसीं ख़्वाब क्या देंगे

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