Friday, March 10, 2017

सबने कहा चाँद पर दाग हैं मैं नही माना
इक तन्हा रात को मैं उससे पूछ बैठा की
"ऐ चाँद क्या तुझ पर दाग हैं"

वो बोला ये दाग नही माँ का टिका हैं
जो मुझेदुनिया की नज़र से बचाता हैं ,,,
इंसान ईस बात को समझना नही चाहता
उसे तो कमी निकालने की लत पड़ गयी हैं

मैं चुपचाप बैठा उसकी बाते सुन रहा था ,,
वो बोला क्या हुआ तुम इतने चुप क्यूँ हो गए
नज़रे झुकाकर मैं बोला "मैं भी इक इंसान हूँ"

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