Tuesday, May 30, 2017

गरमी हसरत-ए -नाकाम से जल जाते हैँ
हम चिरागोँ की तरह शाम से जल जाते हैँ
शमा जिस आग मे जलती है नुमाइश के लिए
हम उसी आग मे गुमनाम से जल जाते हैँ
खुद नुमाई तो नही शबव - ए -अश्बाब वफा
जिनको जलना हो वो आराम से जल जाते हैँ
रब्त बहम ये नही क्या ना कहेँगे दुश्मन
आशना जब तेरे पैगाम से जल जाते हैँ
जब भी आता है मेरा नाम तेरे नाम के साथ
जाने क्योँ लोग मेरे नाम से जल जाते हैँ....

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