मन की मंदाकिनी में एक नीला कंवल खिल उठता है।
सतह पर सुंदर चाँद उभर आता है।
कल-कल की ध्वनि मंत्रोच्चार सी लगती है..
और मेरा समूचा आकाश मलय की सुगंध से भर जाता है।
हर रोज मेरे साथ यह सब सुंदर घटित होता है,
जब मैं तुम्हें लिखता हूं।❤️❤️
---- सुनिल श्रीगौड
No comments:
Post a Comment