Sunday, April 11, 2021

 मन की मंदाकिनी में एक नीला कंवल खिल उठता है। 

सतह पर सुंदर चाँद उभर आता है। 

कल-कल की ध्वनि मंत्रोच्चार सी लगती है..

और मेरा समूचा आकाश मलय की सुगंध से भर जाता है। 

हर रोज मेरे साथ यह सब सुंदर घटित होता है, 

जब मैं तुम्हें लिखता हूं।❤️❤️


---- सुनिल श्रीगौड

No comments:

Post a Comment