उड़ चला है संग तेरे बन के
परिंदा ये मन मेरा
पंख लगे हैं जब दोस्ती के तेरे
ज़मीं है मेरी गगन मेरा
तेरे नाम की लिखी वसीयत हमने
अपना तो अगला जन्म तेरा
सदाबहार का फूल बन के निखरना
और हो सारा चमन मेरा
फिर हक़ से कहें तू है सनम मेरा
---- सुनिल श्रीगौड
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