ऐ हवा इतरा के उनके गालों को
छू कर चले आना
खिंचे चले आयेंगे वो यूँ ही उनको
पता मेरा बताना
बहूत हुया इंतज़ार अब इंतेहा हुई
तुम_चले_आना
मामला संगीन है जरा सोच समझ
के दिल था लगाना
पल पल भारी है मुझ पर
आ के शम्मा जलाना
----- सुनिल शांडिल्य
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