Tuesday, May 11, 2021

 ऐ हवा इतरा के उनके गालों को 

छू कर चले आना


खिंचे चले आयेंगे वो यूँ ही उनको 

पता मेरा बताना


बहूत हुया इंतज़ार अब इंतेहा हुई

तुम_चले_आना


मामला संगीन है जरा सोच समझ 

के दिल था लगाना 


पल पल भारी है मुझ पर 

आ के शम्मा जलाना


----- सुनिल शांडिल्य

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