अब तो जीवन की राहें भी महकती हैं
जब से साथ तेरा पाया है
तुमसे मिल के मंज़िल की तमन्ना ना रही
रास्तों का लुत्फ हमने उठाया है
दिल जो भटका कड़ी धूप में तो एहसास हुआ
सबसे हसीं तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है
अब चढ़े दिल पे तेरे रंग हैं
जब से तुम मेरे हम_संग_हैं
---- सुनिल शांडिल्य
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