मंज़िल के बहुत करीब हैं
अब हाथ ना छूटेगा
सफर चन्द कदमों का है बाकी
तेरा साथ ना छूटेगा
रूह से रूह का हुया है मिलन
अब कोई वादा ना टूटेगा
ले ली पतवार तेरे जीवन की हाथों में
अब कोई लुटेरा क्या लूटेगा
----- सुनिल शांडिल्य
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