किरदार अपना हमको भी बतला दो
लिफाफे गम और खुशियों के खोल दो
गुजरता नही वक़्त अब यू गुजारने से
शहद थोड़ा रूहे-अहसासों का मिला दो
सितमगर बन कहर_ए_सितम ढा दो
कहर अहसासों का तुम कुछ यूं बरसा दो
भूल जाये दुनिया इस कदर अपना बना लो
या फ़ना कर सांसो को मेरी हस्ती ही मिटा दो
---- सुनिल शांडिल्य
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