Thursday, May 20, 2021

 सुकून बन कर आना या

ख़्वाब बन कर आना


तुम मेरे सवालों का इक

जवाब बन कर आना


सो लूँगा काँटों की सेज 

पर उम्र भर


बस तुम मेरे गुलशन में

गुलाब बन कर आना


अपनी मंज़िल ढूंढ लूंगा 

तेरी कजरारी आंखों में


इतनी सी गुज़ारिश है तुमसे

ना दूर हमसे जाना


---- सुनिल शांडिल्य

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