सुकून बन कर आना या
ख़्वाब बन कर आना
तुम मेरे सवालों का इक
जवाब बन कर आना
सो लूँगा काँटों की सेज
पर उम्र भर
बस तुम मेरे गुलशन में
गुलाब बन कर आना
अपनी मंज़िल ढूंढ लूंगा
तेरी कजरारी आंखों में
इतनी सी गुज़ारिश है तुमसे
ना दूर हमसे जाना
---- सुनिल शांडिल्य
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