Monday, May 24, 2021

 जीने का कोई बहाना नही

फिर भी जिये जा रहा हूँ मै


जिन्दा होकर जिन्दा नही

खुद का मातम मना रहा हूं में


अहसासों को समझा नही

तभी यू अश्क बहा रहा हूँ मै


वो मेरी किस्मत में ही नही

फिर भी इश्क कर रहा हूँ मै


जिस्म से हमे सरोकार नही

अहसासों में उसके जलता हूं में


---- सुनिल शांडिल्य

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