ये इश्क,
ना देखा न सुना
खुद ब खुद
ये कमबख्त हो गया
ये दिल,
जाने क्या होता इसे
उसकी एक आहट से
इसकी धड़कन बेतहाशा बढ़ जाती है
रक्त का संचरण
धमनियों पे दबाव बढ़ा जाता है
ये दिल,
जिनसे न मिले
ना देखा,न सुना
उससे ही लग जाता है
ये दिल,
इतना नादान क्यों होता हैं ।।
---- सुनिल शांडिल्य
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