Wednesday, May 5, 2021

 तुम न पढ़ो आज कोई गम नही

इतने काबिल लेखक हम भी नही


में भी लफ्ज़ो को देता विराम नही

निःशब्द हो लिखना गुनाह तो नही


माना लफ्ज़ो में मेरे दिखती जान नही

मगर अहसासों की बानगी भी कम नही


कभी में पढ़ता यहा कोई किताब नही

मगर लिखता हूँ वो अहसासों से बाहर नही

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