मोहब्बत की हवा दिल
की दवा बन गई
दूरी आपकी मेरी चाहत
की सजा बन गई
कैसे भूलूँ ऐक पल के लिए तुम्हें
याद ही मेरे जीने की वजह बन गई
गर इंतज़ार ही लिखा है जिंदगी में
तो यही मेरी सज़ा बन गयी
---- सुनिल शांडिल्य
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