Wednesday, June 23, 2021

 देख रही हो ये सांझ


थोड़ा स्याह रंग लिए, जैसे तुम्हारा काजल

थोड़ा सा सुर्ख लाल, तुम्हारे होठों का रंग जैसे 


दरख़्त के इन झूलते पत्तों को देखो

जैसे तुम्हारे चेहरे पर बिखरी लटें..


जानती हो ये सांझ इतनी खूबसूरत क्यों है ?

क्योंकि

इस सांझ ने सारा रूप, सारा रंग, तुम्ही से चुराया है❣️ 


---- सुनिल शांडिल्य

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