Friday, June 25, 2021

 सारी कायनात से है गुलामी करवाई

तबाही तेरे हुस्न ने कुछ ऐसी है मचाई।


तेरे हुस्न के दीदार को हो रहा बेताब

मेरे दिल मे तूने कैसी ये आग लगाई ।


आंखों पर मेरी सिर्फ़ तेरा अक्स छाया

आंखो से तूने ये कैसी है शराब पिलाई ।


बेवजह मौत से डरता रहा अब तलक

तूने होठों पर जीती जागती मौत दबाई ।


---- सुनिल शांडिल्य

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