Saturday, July 17, 2021

 इश्क़ में मशरूफ था जमाना ,

हम तो सफ़र पे निकले थे..!!


क्या नज़्में,क्या ग़ज़लें

हम तो सिर्फ दर्द ही अब लिखेंगे..!!


याद करके सारी रात उनको ,

नींद चैन की हमें ना आयी..!!


लिखते लिखते कहीं कलम टूट ना जाए ,

दर्द इतने सारे है कहीं पन्ने कागज के कम ना पड़ जाए..!!


---- सुनिल शांडिल्य

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