Tuesday, July 20, 2021

 पसीने से भींगी तुम

नख से शिख तक..


यूं लगती हो जैसे..

भींगा कोई कमल दल


जैसे..

चांदनी में नहाई रातरानी का पुष्प


जैसे..

ओस की बूंदों से तर हरी दूब


खुशबू तेरी मादक

जैसे..महुए का पुष्प 


जो पास आऊं मैं तेरे

नशे में झूमे मन मेरा बावरा


---- सुनिल शांडिल्य

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