जिसमें एक
दूजे को.....
देखें ऐसा दर्पण चाहिए ;
चाहने वालों
को यहां.....
साँसों का अर्पण चाहिए ;
प्रेम की होती
है भाषा.....
बड़ी सीधी और बडी सरल ;
प्रेम मे तन
का नहीं.....
प्रिये मन का समर्पण चाहिए ;
---- सुनिल शांडिल्य
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