जो रूके कदम तुम्हारी पनाह मे
तो सुकून_ओ_चैन पाया
गम के साये हुए दूर मनको
आराम आया
नही रहा कोई असर बेदर्द जमाने का
जिन्दगी मे इक ऐसा मोङ आया
रहा हमेशा याद वो वादा_ए_वफा
ज़फा का ना कही जिक्र आया
---- सुनिल शांडिल्य
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