Wednesday, August 25, 2021

 रुख से तेरे नकाब जो हटाऊँ मैं

देख कर मुझे मेरी चांद शर्मा जाए


जरा जी भर के करने दे दीदार मुझे

हो इजाजत गर,भर लूं तुम्हें बांहों में


सीने में लगी मेरी जाने कैसी अगन

बुझे जब तेरी सांसें टकराए सांसों से


दिल की बढ़ जाती है मेरी धड़कन

जो रख दे तू मेरे लबों पे लब अपने ।।


----#शांडिल्य

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