रुख से तेरे नकाब जो हटाऊँ मैं
देख कर मुझे मेरी चांद शर्मा जाए
जरा जी भर के करने दे दीदार मुझे
हो इजाजत गर,भर लूं तुम्हें बांहों में
सीने में लगी मेरी जाने कैसी अगन
बुझे जब तेरी सांसें टकराए सांसों से
दिल की बढ़ जाती है मेरी धड़कन
जो रख दे तू मेरे लबों पे लब अपने ।।
----#शांडिल्य
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