Monday, August 23, 2021

 अधरन मधुर माधुरी मुस्कान

बोली सरस जैसे वीणा की तान


झुमके बरेली के सजे दोनो कान

ग्रीवा है जैसे जल भरी गागरिया


छरहरा वदन और कृष कमरिया

ठुमक ठुमक पग धरे जो धरा पे


मधुर मधुर बजे छुमछुम पैजनिया

अदाएं ऐसी जैसे हर लेगी प्राण ।।


#शांडिल्य

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