अधरन मधुर माधुरी मुस्कान
बोली सरस जैसे वीणा की तान
झुमके बरेली के सजे दोनो कान
ग्रीवा है जैसे जल भरी गागरिया
छरहरा वदन और कृष कमरिया
ठुमक ठुमक पग धरे जो धरा पे
मधुर मधुर बजे छुमछुम पैजनिया
अदाएं ऐसी जैसे हर लेगी प्राण ।।
#शांडिल्य
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