मन मे ये भाव जागे संग अनुभाव जागे,
रग रग मे तो प्रेम का प्रसार हो गया,
"कमसिन-कामिनी" का "नेह-दृष्टि" पान हुआ
"मधु-रस" से भी बढ कर खुमार हो गया,
सृष्टि गई डोल डोल बदल गया भूगोल,
जित देख उत प्रेमका खुमार हो गया ...
मुझ से दो_बातें कर उधर से उसने जो एक बार देख लिया,
हाय इधर ये मेरा दिल तार तार हो गया .... 💕
---- सुनिल शांडिल्य
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