नेह का छोटा सा बसा एक गांव हो ।
भावना की घनेरी वहां छांव हो ।
हो हृदय का भवन प्यार की पवित्र-देहरी ।
जिस पे सुन्दर सुकोमल मेरी प्रिया तुम्हारा पांव हो
---- सुनिल शांडिल्य
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