दीवाने बस दीदार-ए-इश्क करते है
आशिक भी सिर्फ आवारगी करते है
तेरी तन्हाइयो में हल तन्हाई ढूंढते है
हम तो रूह में रूहानीयत को ढूंढते है
प्यार,इश्क, महोब्बत जिससे करते है
महबूब वो मेरे मेरी रूह में ही रहते है
हर लफ्ज़ में हम सिर्फ उनको ढूंढते है
मोहतरमा हर लफ्ज़ उन्ही को लिखते है
---- सुनिल #शांडिल्य
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